RBI MPC मीटिंग आज से शुरू, क्या इस बार होगा रेपो रेट में कोई बदलाव?
वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी RBI MPC मीटिंग आज से शुरू हो गई है. 8 अगस्त को बैठक के नतीजे सामने आएंगे. ऐसे में लोगों की नजर इस बात पर है कि क्या रिजर्व बैंक इस बार रेपो रेट में कोई बदलाव करेगा या नहीं. फिलहाल रेपो रेट 6.50% पर बना हुआ है.
RBI MPC Meeting: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की तीन दिवसीय मीटिंग आज 6 अगस्त से शुरू हो गई है. ये वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी मीटिंग होगी. 8 अगस्त को बैठक के नतीजे सामने आएंगे. ऐसे में लोगों की नजर इस बात पर है कि क्या रिजर्व बैंक इस बार रेपो रेट में कोई बदलाव करेगा या नहीं. फिलहाल रेपो रेट 6.50% पर बना हुआ है. जानकारों की मानें तो इस बार भी RBI रेपो रेट में बदलाव की संभावना नहीं दिख रही है.
हालांकि सही तस्वीर तो 8 अगस्त को नतीजे आने के बाद ही सामने आएगी. बता दें कि पिछली साल फरवरी में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में बदलाव करके उसे 6.50% पर किया था, तब से अब तक 7 मीटिंग्स हो चुकी हैं, लेकिन रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है.
क्या होता है रेपो रेट?
जिस तरह आप अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक से कर्ज लेते हैं और उसे एक निर्धारित ब्याज के साथ चुकाते हैं, उसी तरह सार्वजनिक, निजी और व्यावसायिक क्षेत्र की बैंकों को भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन लेने की जरूरत पड़ती है. ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक ही ओर से जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन दिया जाता है, उसे रेपो रेट (Repo Rate) कहा जाता है. रेपो रेट कम होने पर आम आदमी को राहत मिल जाती है और रेपो रेट बढ़ने पर आम आदमी के लिए भी मुश्किलें बढ़ती हैं. जब रेपो रेट बढ़ता है तो बैंकों को कर्ज ज्यादा ब्याज दर पर मिलता है. ऐसे में आम आदमी के लिए लोन महंगा हो जाता है. वहीं रेपो रेट कम होने पर लोन सस्ते हो जाते हैं.
RBI क्यों समय-समय पर रेपो रेट में बदलाव करता है
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रेपो रेट महंगाई से लड़ने का शक्तिशाली टूल है, जिसका समय समय पर आरबीआई स्थिति के हिसाब से इस्तेमाल करता है. जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो आरबीआई इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है और रेपो रेट को बढ़ा देता है. आमतौर पर 0.50 या इससे कम की बढ़ोतरी की जाती है. लेकिन जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है और ऐसे में RBI रेपो रेट कम कर देता है और जरूरत नहीं लगती तो रेपो रेट को कुछ समय तक स्थिर रखता है.
क्यों हर दो महीने पर होती है MPC मीटिंग
दरअसल देश में बढ़ती महंगाई और अचानक से मार्केट में कम होती समान की मांग के बीच बैलेंस बनाए रखने के लिए रिजर्व बैंक को समय-समय पर बैठक करनी होती है. ऐसे में आरबीआई की छह सदस्यीय टीम मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के जरिए महंगाई के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नीतिगत रेपो रेट में बदलाव को लेकर चर्चा करती है. तीन दिनों तक ये बैठक चलती है और तीसरे दिन आरबीआई गवर्नर मीटिंग में हुए फैसले की घोषणा कर देते हैं. नियम के मुताबिक RBI MPC Meeting साल में कम से कम चार बार करना जरूरी है. ये मौद्रिक नीति बैठक कितने-कितने समय के अंतराल पर होगी, इस अवधि को तय करने का जिम्मा समिति पर होता है.
समिति के पास बैठक को जरूरत के अनुसार बढ़ाने-घटाने का भी अधिकार होता है. अगर समिति को लगता है कि ये बैठक साल में 4 बार से ज्यादा होनी चाहिए तो इसको लेकर एक नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाता है. पिछली बार जब नोटिफिकेशन जारी हुआ था तो उसमेंं कहा गया था कि 2023-24 के लिए मौद्रिक नीति समिति की बैठक 6 बार की जाएगी जो अप्रैल, जून, अगस्त, अक्टूबर, दिसंबर और फरवरी महीने में होगी. आज वित्त वर्ष 2023-24 के लिए एमपीसी की छठी द्विमासिक बैठक के नतीजे आने वाले हैं.
10:36 AM IST